IAS प्रारंभिक परीक्षा अध्ययन योजना 2019 : 86 दिवसीय रणनीति- भारत में सबसे लोकप्रिय और सबसे कठिन समझी जाने जानी वाली UPSC CSE प्रारंभिक परीक्षा 02 जून, 2019 को आयोजित की जानी है, जो कुछ महीने ही दूर रह गई है। सभी अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा के लिए अपनी कमर कस ली होगी इसका हमें यकीन है।
लाखों उम्मीदवार हर साल IAS बनने का सपने लेकर परिश्रम पूर्वक तैयारी कर इस परीक्षा में बैठते है पर जाहिर है सफल वही होगा जिसकी परीक्षा के लिए रणनीति एकदम सटीक होगी। हमें विश्वास है कि अब तक आपकी लगभग तैयारी हो चुकी होगी। अब बस आपको मार्गदर्शन की आवश्यकता है कि इन बचे 100 दिन की तैयारी में क्या रणनीति अपनाएँ? जिससे की आपका ध्यान केन्द्रित रहे और आपका आत्मविश्वास बढ़े। जाहिर है जब अभ्यास, ज्ञान और आत्मविश्वास बढ़ जाता है तो सफलता पाने में देर नहीं लगती।
IAS प्रारंभिक परीक्षा अध्ययन योजना 2019 : 86 दिवसीय रणनीति
सिविल सर्विसेज के टॉप रेंकर्स की जुबानी और उनसे बात कर के उनके अध्ययन की बारीकियों से अवगत होकर हम यह कह सकते हैं कि सफलता सिर्फ उन्हीं को मिलती है जो नियमित और अनवरत ध्यान केन्द्रित कर निष्ठा के साथ अध्ययन में लगे रहते हैं। यह अध्ययन प्लान टॉप रेंकर्स के अध्ययन प्लान के अवलोकन पश्चात बनाया गया है। आइए हम मान लेते हैं कि आप 7 घंटे का अध्ययन प्लान बना कर अपनी तैयारी जारी रख रहे हैं। अब तय घंटे को हम विषयवार रूप से एक निश्चित समय विभाजन प्रदान कर रणनीति बनाते हैं।
दिन की कुल संख्या | 86 |
इतिहास और कला एवं संस्कृति की तैयारी के लिए समर्पित दिन | 15 दिन |
भूगोल तैयार करने के लिए समर्पित दिन | 12 दिन |
राज्यव्यवस्था तैयार करने के प्रति समर्पित दिन | 12 दिन |
अर्थव्यवस्था तैयारी के प्रति समर्पित दिन | 11 दिन |
पर्यावरण तैयारी के प्रति समर्पित दिन | 10 दिन |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए समर्पित दिन | 8 दिन |
वर्तमान मामलों (कर्रेंट अफेयर) की तैयारी के प्रति समर्पित दिन | 18 दिन |
अगर आप नियमित रूप से इस कार्यक्रम के अनुरूप अपना शेड्यूल बनाकर अध्ययन करते हैं और इसमें दिये गए अभ्यास प्रश्नों को हल करते हैं, तो हम आपको इस बात का पूरा विश्वास दिलाते हैं कि प्रारंभिक परीक्षा आपके लिये बाधा नहीं बन सकती। आप बस नियमित रूप से इस कार्यक्रम को फॉलो कीजिये।
IAS प्रीलिम्स स्टडी प्लान 2019 के तहत सफलता प्राप्त करने के लिए हमें सबसे पहले इतिहास और कला एवं संस्कृति विषय के साथ आरंभ करना चाहिए।
इतिहास और कला एवं संस्कृति
भारतीय इतिहास और कला एवं संस्कृति खंड से लगभग 15-20 प्रश्न पूछे जाते हैं और आप 30-40 अंक आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। आइए हम भारतीय इतिहास और कला एवं संस्कृति खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिए कुछ वर्षों के रुझान का अवलोकन कर लेते हैं।
वर्ष | भारतीय इतिहास | कला एवं संस्कृति |
2013 | 5 | 10 |
2014 | 5 | 15 |
2015 | 13 | 4 |
2016 | 12 | 3 |
2017 | 11 | 3 |
भारतीय इतिहास और कला एवं संस्कृति में फोकस क्षेत्र :
IAS प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाने वाले अधिकांश इतिहास विषयक प्रश्न आम तौर पर “आधुनिक भारत और कला एवं संस्कृति” से आते हैं। “मध्ययुगीन भारतीय इतिहास और प्राचीन भारतीय इतिहास” पूछे गए प्रश्नों की संख्या के हिसाब से एक प्रमुख भाग के रूप में नहीं रहे हैं।
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन
(15) |
प्राचीन इतिहास | इतिहास के प्रमुख स्रोत: पुरातात्विक, साहित्यिक तथा विदेशी विवरण, प्रागैतिहासिक काल, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक संस्कृति तथा साहित्य, नगरीय क्रांति एवं सोलह महाजनपद, धार्मिक क्रांति: बौद्ध एवं जैन धर्म, मौर्य काल, मौर्योत्तर काल: शुंग, कण्व, सातवाहन, इंडो-ग्रीक, पार्थियन, कुषाण और शक, गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल, हर्षवर्द्धन( पुष्यभूति वंश), दक्षिण भारत की राजनीतिक स्थिति: चोल, चालुक्य, पल्लव और राष्ट्रकूट, दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन, प्राचीन भारत में शिक्षा के केंद्र, प्राचीन भारत में दर्शन का विकास | 4 |
मध्यकालीन इतिहास |
तुर्कों का प्रसार:महमूद गज़नवी तथा मुहम्मद गोरी के आक्रमण, उत्तर तथा दक्षिण भारत की राजनीतिक स्थिति, दक्षिण भारत – चोल वंश :समाज, अर्थव्यवस्था, स्थानीय-स्वायत्त प्रशासन, राजराज प्रथम और राजेंद्र प्रथम; दिल्ली सल्तनत:प्रशासन, विभिन्न वंशो तथा सुल्तानों का कालक्रम- बलबन, अलाउद्दीन खिलजी तथा तुगलक सुल्तानों द्वारा प्रवर्तित विभिन्न सुधार, प्रशासनिक विभाग, विभिन्न क्षेत्रीय राजवंश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी; भक्ति तथा सूफी मत; विजयनगर और बहमनी साम्राज्य; मुगलकाल:राजनीतिक पक्ष- अकबर,शेरशाह, औरंगज़ेब-आर्थिक और प्रशासनिक पक्ष; दक्कन और मुग़ल: अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा; उत्तर मुगलकालीन शासन | 2 |
आधुनिक इतिहास |
यूरोपियों का आगमन; भारत पर ब्रिटिश विजय-आंग्ल-फ्राँसीसी संघर्ष, आंग्ल-सिक्ख, आंग्ल-मैसूर, आंग्ल-मराठा युद्ध, प्लासी और बक्सर का युद्ध, विस्तारवादी नीतियाँ, सहायक संधि, हड़प नीति आदि; 1857 का विद्रोहः विभिन्न नेतृत्वकर्त्ता तथा विद्रोह स्थल, असफलता के कारण, विभिन्न टिप्पणियाँ, ब्रिटिश प्रशासनिक तथा आर्थिक नीतियों का विकास-भू-राजस्व, राजस्व प्रशासन, सैनिक प्रशासन, न्याय प्रणाली का विकास, कम्पनी के काल में लोक सेवा का विकास, स्थानीय स्वशासन, ब्रिटिश आर्थिक नीति एवं प्रभाव; शिक्षा तथा समाचार-पत्रों का विकास, नागरिक एवं जनजातीय विद्रोह; संवैधानिक विकास-रेग्युलेटिंग एक्ट से 1853 के चार्टर एक्ट तक, 1858 की विक्टोरिया घोषणा तथा 1861 का अधिनियम, 1892, 1909 एवं 1919 के अधिनियम तथा साइमन कमीशन, 1935 का भारत शासन अधिनियम, अगस्त प्रस्ताव, क्रिप्स मिशन, वेवेल प्लान तथा राजगोपालाचारी फार्मूला, कैबिनेट मिशन, माउंटबेटन योजना, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कांग्रेस के पूर्व की संस्थाएँ, कांग्रेस का गठन एवं प्रारंभिक दौर की राजनीति, बंगाल विभाजन, प्रथम विश्व युद्ध और भारत; गांधीजी का राष्ट्रीय आंदोलन में पदार्पण,चम्पारण, अहमदाबाद, खेड़ा आंदोलन, रॉलेट एक्ट, खिलाफत असहयोग स्वराज पार्टी; क्रांतिकारी आंदोलन; साइमन कमीशन एवं नेहरू रिपोर्ट; सविनय अवज्ञा आंदोलन गांधी-इरविन समझौता; गोलमेज सम्मेलन पूना पैक्ट; वामपंथी विचारधारा एवं भारतीय राजनीति; श्रमिक एवं कृषक आंदोलन; भारत छोड़ो आंदोलन; नौसेना विद्रोह; भारतीय राष्ट्रीय सेना और सुभाष चंद्र बोस; भारत विभाजन और स्वतंत्रता और अन्य |
5 |
कला एवं संस्कृति |
भारतीय स्थापत्य कला तथा मूर्तिकला- सिंधुकालीन स्थापत्य कला, मौर्यकालीन स्थापत्य कला, गुप्तकालीन स्थापत्य कलाः नागर शैली, द्रविड़ शैली तथा बेसर शैली; गुप्तोत्तरकालीन स्थापत्य कला; भारतीय प्रतिमाओं में अंकित मुद्राएँ- जैन, बौद्ध एवं ब्राह्मण धर्म की मूर्तियाँ; गंधार कला और मथुरा कला; सल्तनत कालीन स्थापत्य कला; मध्यकालीन प्रांतीय शैलियों की स्थापत्य कला; आधुनिक भारत में स्थापत्य कला
भारतीय चित्रकलाएं, भारतीय नृत्य कला-शास्त्रीय नृत्य की प्रमुख शैलियाँ, भारत के लोक नृत्य भारतीय संगीत-शास्त्रीय संगीत-कर्नाटक, हिन्दुस्तानी; क्षेत्रीय लोकगीत; संगीत में घराना परम्परा भारतीय कठपुतली कला, भारतीय हस्तशिल्प पारम्परिक भारतीय वस्त्र एवं भोजन प्रमुख भारतीय भाषाएँ, भारत में धर्म, भारतीय साहित्य, प्राचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारत में मेले और त्यौहार, भारत के सांस्कृतिक संस्थान |
4 |
- भारतीय इतिहास खंड का न सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा में बल्कि मुख्य परीक्षा में भी खासा महत्त्व होता है। चूँकि इतिहास का पाठ्यक्रम अत्यंत विस्तृत है, इसलिये इसे पूरी तरह से पढ़ पाना और तथ्यों एवं अवधारणाओं को याद रख पाना आसान कार्य नहीं है। परंतु, विगत वर्षों के परीक्षा रुझान से एक धारणा बनाई जा सकती है।
- ध्यातव्य है कि प्रारंभिक परीक्षा में पिछले छह वर्षों में इस खंड से औसतन 17 प्रश्न पूछे गए हैं।
- उम्मीदवारों को स्वतंत्रता संघर्ष पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इस खंड से सर्वाधिक प्रश्न पूछे जाते हैं।
- कला एवं संस्कृति का क्षेत्र भी प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। स्थापत्य कला, मूर्तिकला, नृत्य-नाटक, संगीत कला, भक्ति दर्शन, भाषा और लिपि इत्यादि पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
- मध्यकालीन भारतीय इतिहास से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या बढ़ रही है। प्राचीन भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण खंडों, यथा- बुद्ध, महावीर, हड़प्पा सभ्यता, वैदिक संस्कृति, मौर्य काल तथा गुप्तकालीन सामाजिक व्यवस्था आदि का अध्ययन कर दो-तीन प्रश्नों की बढ़त ली जा सकती है।
भारत एवं विश्व का भूगोल
आपको बता दे कि प्रारंभिक परीक्षा में “विश्व भूगोल” की तुलना में भारतीय भूगोल को अधिक महत्व दिया जाता है। आइयें अब हम भूगोल खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिए कुछ वर्षों के रुझान का अवलोकन कर लेते हैं।
वर्ष | भूगोल |
2013 | 15 |
2014 | 20 |
2015 | 14 |
2016 | 12 |
2017 | 10 |
भूगोल विषय के फोकस क्षेत्र:
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन (12) |
भारतीय भूगोल |
भारत- स्थिति, संरचना तथा भूआकृति विज्ञान, अपवाह तंत्र, जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, मृदा, प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ, भारत की कृषि, सिंचाई व बहुउद्देशीय परियोजना, भारत के खनिज संसाधन व उद्योग, भारत में परिवहन, भारत की जनजातियाँ, भारत की जनसंख्या व नगरीकरण, मानचित्र- क्रियाकलाप ( भारत एवं विश्व) | 7 |
विश्व का भूगोल |
ब्रह्माण्ड, पृथ्वी की गतियाँ तथा अक्षांश-देशांतर, पृथ्वी की आंतरिक संरचना, महासागरों और महाद्वीपों का वितरण, खनिज एवं शैल, भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ, भू- आकृतियाँ तथा उनका विकास, महाद्वीपीय एवं प्रायद्वीपीय भूपटल के विभिन्न उच्चावच, महासागरीय नितल उच्चावच, महासागरीय जल (तापमान व लवणता), महासागरीय तरंग एवं धाराएँ, विश्व की जलवायु, वायुमंडल का संघटन तथा संरचना, वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियाँ, वायुमंडल में जल, सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान, विश्व के प्रमुख बायोम, विश्व की मिट्टियाँ, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्यपालन, विश्व के प्रमुख खनिज संसाधन, विश्व के प्रमुख उद्योग, विश्व में परिवहन, विश्व की प्रजातियाँ एवं जनजातियाँ, पृथ्वी पर जनसंख्या का वितरण, प्रवास या स्थानांतरण, नगरीकरण, विश्व का क्षेत्रीय भूगोल- एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, आस्ट्रेलिया व ओशेनिया, अंटार्कटिका | 5 |
- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध आदि खंडों की अवधारणाओं को समझने के लिये भी भूगोल की समझ होनी ज़रूरी है।
- अगर भूगोल खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखा जाए तो इस खंड से हर साल औसतन 15 प्रश्न पूछे जाते रहे हैं।
- सामान्यतः विश्व एवं भारत का भूगोल दोनों उपखंडों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या बराबर ही रहती है। (वर्ष 2016 को छोड़कर) अतः दोनों उपखंडों पर समान रूप से ध्यान देने की ज़रूरत है।
- सामान्यतः विश्व के भूगोल से जटिल प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं। अगर मानचित्र और भूगोल की बुनियादी अवधारणाओं पर आपकी मज़बूत पकड़ है, तो आप आसानी से अधिकांश प्रश्नों को सही कर सकते हैं। इसके लिये, चर्चा में रहे विभिन्न स्थानों की अवस्थिति एवं उनके बारे में बुनियादी भौगोलिक जानकारियों की भी एक सूची बना लेनी चाहिये।
- भारत के भूगोल के बारे में आपसे थोड़ी गहरी समझ की अपेक्षा होती है। इसलिये भारत के भूगोल से संबंधित महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं के साथ-साथ कुछ तथ्यों को भी याद रखना ज़रूरी होता है।
- विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखने पर यह समझ आता है कि भूगोल खंड में एनसीईआरटी की पुस्तकों एवं मानचित्र का अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है। कई प्रश्न सीधे तौर पर इन्हीं स्रोतों से पूछ लिये जाते हैं।
भारतीय राज्यव्यवस्था
सभी नागरिक सेवाओं के लिए भारतीय राज्यव्यवस्था को पढ़ना आवश्यक है। इस विशेष खंड से बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं।
वर्ष | भारतीय राज्यव्यवस्था |
2013 | 18 |
2014 | 11 |
2015 | 13 |
2016 | 12 |
2017 | 20 |
भारतीय राज्यव्यवस्था एवं शासन विषय के फोकस क्षेत्र :
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन (12) |
भारतीय राज्यव्यवस्था |
संवैधानिक विकास, संविधान की विशेषताएँ, संविधान पर विदेशी प्रभाव, उद्देशिका, नागरिकता, नीति-निदेशक तत्त्व, मूल अधिकार, मूल कर्त्तव्य, संघ एवं इसका क्षेत्र, संविधान संशोधन, संसदीय व्यवस्था, केंद्र-राज्य संबंध, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद्, आपातकालीन प्रावधान, अंतर्राज्यीय संबंध, मंत्रिमंडलीय समितियां, संसद, संसदीय समितियां तथा संसदीय मंच, सर्वोच्च न्यायालय, न्यायिक समीक्षा, न्यायिक सक्रियता, जनहित याचिका, राज्य विधानमंडल, उच्च न्यायालय, आपातकालीन उपबंध, संवैधानिक तथा संविधानेत्तर निकाय, पंचायती राज तथा सामुदायिक विकास, राजनीतिक दल, निर्वाचन, चुनाव कानून, दल-बदल कानून, राजभाषा, विशेष वर्गों के लिये उपबंध और विविध | 12 |
- यह खंड कम समय में अधिक अंक दिलाने वाला है, इसलिये इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- हालाँकि, 2016 में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों की संख्या विगत वर्षों की तुलना में लगभग आधी थी, फिर भी किसी एक वर्ष के आधार पर इसकी तैयारी में कोताही करना गलत होगा।
- संघीय कार्यपालिका एवं संसद वाले उपखंडों पर अधिकाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। विगत वर्षों में केवल इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 5 प्रश्न पूछे गए हैं। इस खंड को गहराई से पढ़ लेने पर 3-4 प्रश्न तो आसानी से हल किये ही जा सकते हैं।
- न्यायपालिका, मौलिक अधिकार एवं नीति निदेशक तत्त्व वाले खंड से हर साल प्रायः 1-2 प्रश्न पूछ लिये जाते हैं। यह एक छोटा खंड है, इसलिये अगर इसे पढ़कर 1-2 प्रश्न सही किये जा सकते हैं तो इसे अच्छी तरह से पढ़ ही लेना चाहिये।
- राज्य सरकार एवं स्थानीय शासन से संबंधित भी प्रायः 1-2 प्रश्न पूछ लिये जाते हैं, अतः इन्हें भी एक-दो बार ठीक से पढ़ लेना सही होगा।
- संविधान एवं राजव्यवस्था के अन्य उपखंडों को समय रहने पर पढ़ा जा सकता है, अन्यथा छोड़ा भी जा सकता है।
- वर्तमान में प्रचलित राजनीतिक मुद्दों से संबंधित अवधारणात्मक बिंदुओं, जैसे- संविधान संशोधन तथा विभिन्न आयोगों आदि के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है।
अर्थव्यवस्था
आइयें अब हम भारतीय अर्थव्यवस्था खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिए कुछ वर्षों के रुझान का अवलोकन कर लेते हैं।
वर्ष | अर्थव्यवस्था |
2013 | 18 |
2014 | 12 |
2015 | 13 |
2016 | 21 |
2017 | 22 |
अर्थव्यवस्था विषय के फोकस क्षेत्र :
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन (12) |
अर्थव्यवस्था | आर्थिक विकास एवं आर्थिक संवृद्धि, आयोजन, मुद्रा एवं बैंकिंग, पूंजी बाज़ार एवं शेयर बाज़ार, लोकवित्त, मुद्रास्फीति, विदेशी व्यापार एवं विनिमय दर, बौद्धिक संपदा अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, जनसंख्या एवं नगरीकरण, निर्धनता, बेरोज़गारी, खाद्य प्रसंस्करण, पशुधन एवं पशुपालन, परिवहन एवं यातायात, राजकोषीय नीति और बजट, कराधान, सामाजिक क्षेत्र की पहल | 12 |
- इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 16 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिये यह खंड प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- वैसे, इस खंड में अधिकांश प्रश्न भारतीय अर्थव्यवस्था से ही पूछे जाते हैं, लेकिन कभी-कभार 1-2 प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से भी पूछ लिये जाते हैं।
- समसामयिक मुद्दों से संबंधित अवधारणाओं से ठीक-ठाक संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं।
- बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान, राष्ट्रीय आय और पंचवर्षीय योजना, राजकोषीय नीति और मुद्रास्फीति आदि क्षेत्रों में विशेष रूप से पकड़ बनाने की आवश्यकता है।
- बैंकिंग एवं संबद्ध वित्तीय संस्थानों से प्रतिवर्ष औसतन चार प्रश्न पूछे जाते रहे हैं, इसलिये इन पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, बैंकिंग क्षेत्र एवं लोकवित्त के क्षेत्र में होने वाले विभिन्न सुधारों पर भी गौर किये जाने की आवश्यकता है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
पिछले कुछ सालों में आयोजित IAS प्रारंभिक परीक्षा परीक्षाओं पर गौर करें और “पारिस्थितिकी, पर्यावरण, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन” खंड से पूछे गए प्रश्नों के रुझान से इस खण्ड की महत्ता समझी जा सकती है:
वर्ष | पर्यावरण |
2013 | 22 |
2014 | 31 |
2015 | 13 |
2016 | 10 |
2017 | 11 |
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विषय के फोकस क्षेत्र :
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन (10) |
पर्यावरण | जीव तथा पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र संरचना एवं कार्य, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, भारत में जैव विविधता, जैव विविधता का संरक्षण, भारत में जीव-जंतुओं के संरक्षण हेतु प्रयास, भारत में जैव विविधता संरक्षण से संबंधित कानूनी प्रयास, जैव विविधता तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयास व सम्मेलन, राष्ट्रीय जैव विविधता कार्यनीति और कार्य योजना, सतत कृषि | 10 |
- यूँ तो पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के इस खंड को अन्य खंडों से बिल्कुल अलग करके देखना कठिन है। दरअसल, यह खंड भूगोल, जीव विज्ञान एवं समसामयिकी का मिला-जुला रूप है, इसलिये इसकी तैयारी के लिये अवधारणाओं (concepts) के साथ-साथ इससे संबंधित समसामयिक घटनाओं पर अधिकाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- विगत 6 वर्षों में इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 15 प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। अगर इन प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखें तो इनमें से अधिकांश प्रश्न हाल-फिलहाल की घटनाओं से जोड़कर पूछे गए हैं।
- पर्यावरण से संबंधित विभिन्न वैश्विक संगठनों, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर के सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों, संस्थानों और समूहों की कार्यप्रणाली, उद्देश्य व अधिकार क्षेत्र आदि से भी प्रश्न पूछे जाते हैं।
- अगर हाल-फिलहाल में पर्यावरण को लेकर कोई सम्मेलन या संधि हुई हो तो उसके उद्देश्यों, कार्य-क्षेत्र एवं प्रमुख निर्णयों पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- चूँकि वर्तमान में प्रदूषण संपूर्ण विश्व के लिये एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है, इसलिये प्रदूषण से संबंधित प्रश्न पूछे जाने की भरपूर संभावना रहती है।
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण दूर करने के लिये उठाए जा रहे कदम, प्रदूषण नियंत्रण के महत्त्वपूर्ण मानक, नियम और कानूनी प्रावधान इत्यादि पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- जैव-विविधता एवं मौसम परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर भी पैनी निगाह रखनी चाहिये। जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण व विनियमन हेतु पारित महत्त्वपूर्ण अधिनियम, विभिन्न जीव-जंतुओं व वनस्पतियों की विलुप्ति एवं संकटग्रस्तता, महत्त्वपूर्ण प्रजातियों के वन्य जीवों की विशेषताएँ, आवास एवं उनके समक्ष उपस्थित खतरों आदि की सूची बना लेनी चाहिये और उनमें आवश्यकतानुसार अद्यतन सूचनाओं ( updated news ) को जोड़ते रहना चाहिये।
- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी की तैयारी के लिये मूल रूप से समसामयिक घटनाक्रमों पर अधिकाधिक ध्यान देना चाहिये। साथ ही, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से संबंधित सरकारी मंत्रालयों एवं विभिन्न संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण रिपोर्टों को भी अध्ययन में शामिल करना चाहिये।
परीक्षा के वर्तमान पाठ्यक्रम को देखें तो एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि अच्छे से तैयारी करने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय लगता है, इसमें से एक वर्ष में प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी अच्छे से हो सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने प्रारंभिक परीक्षा 2018 को लक्षित करते हुए कार्यक्रम तैयार किया है। इसके अंतर्गत प्रारंभिक परीक्षा के दोनों प्रश्नपत्रों यानी सामान्य अध्ययन और सीसैट की तैयारी जाँची जाएगी। सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र का पैकेज इस तरह तैयार किया गया है कि प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम से संबंधित सभी खंडों को विस्तार से कवर किया जा सके। इस पैकेज के पीछे हमारा मूल ध्येय- प्रत्येक दिन अभ्यास प्रश्न से प्रारंभिक परीक्षा 2019 से पहले पूरे पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से तैयार करवाना है।अतः नीचे दिए गए पैकेज को अपनी तैयारी में सम्मिलित कर अपनी तैयारी को सफलता का आयाम दें।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
IAS प्रारंभिक परीक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी है। ये ज्यादातर विश्लेषणात्मक प्रश्न हैं जो इस खंड में दिखाए गए हैं।
वर्षों में पूछे गए IAS प्रारंभिक परीक्षा परीक्षा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर प्रश्नों की संख्या पर विस्तृत विवरण दिया गया है:
वर्ष | विज्ञान और प्रोद्योगिकी |
2013 | 13 |
2014 | 5 |
2015 | 6 |
2016 | 9 |
2017 | 10 |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय के फोकस क्षेत्र :
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन (8) |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी |
पौधों में जनन एवं वर्धन संबंधी प्रक्रियाएँ, रोग एवं उपचार, कोशिका और ऊतक, रुधिर परिवहन तंत्र, पाचन तथा उत्सर्जन तंत्र, जनन तंत्र, प्रकाश-संश्लेषण, विटामिन, पोषण, हार्मोन तथा एंजाइम, जैव उर्वरक, वर्गिकी/वर्गीकरण, आनुवंशिकता, खाद्य संरक्षण तथा औषधि, प्रकाश, ऊष्मा तथा ऊष्मा गतिकी, तरंग गतिकी, ध्वनि, नाभिकीय भौतिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, ऊर्जा प्रौद्योगिकी, रक्षा प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि प्रौद्योगिकी, चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स, नैनो टेक्नोलॉजी, पुरस्कार एवं दिवस, बौद्धिक संपदा अधिकार, सरकारी कार्यक्रम / विभाग, देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हाल ही में हुए कुछ विकास तथा विविध |
8 |
- सामान्य विज्ञान, सामान्य अध्ययन के उन खंडों में शामिल है जिन पर मज़बूत पकड़ बनाकर आप सामान्य प्रतियोगियों से बढ़त ले सकते हैं। दरअसल, विज्ञान एवं अर्थव्यवस्था जैसे खंडों के विषय में आम विद्यार्थियों की धारणा एक बोझिल विषय के रूप में होती है। इसलिये कई विद्यार्थी इस खंड को लगभग छोड़कर चलते हैं।
- ऐसे में, अगर आप इस खंड का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करते हैं तो आप कम मेहनत में अच्छी बढ़त हासिल कर सकते हैं।
- पिछले छह वर्षों में इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 12 प्रश्न पूछे गए हैं।
- सर्वाधिक प्रश्न जीव विज्ञान खंड से पूछे जाते रहे हैं, जबकि रसायन विज्ञान की महत्ता लगभग नगण्य है। हाँ, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्नों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है।
- यद्यपि प्रौद्योगिकी मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल है और प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम में सीधे तौर पर इसका उल्लेख नहीं है, परंतु पूछे जा रहे प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखते हुए प्रौद्योगिकी के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है, खासतौर पर हाल-फिलहाल में हुए प्रौद्योगिकीय विकास पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
- वैसे, देखा जाए तो सामान्य विज्ञान (भौतिक, रसायन एवं जीव विज्ञान) से प्रायः व्यावहारिक अनुप्रयोगों से संबंधित प्रश्न ही पूछे जाते हैं, जिनमें किसी विशेष प्रकार के सिद्धांत एवं जटिल अवधारणाओं की समझ की अपेक्षा नहीं होती। इसलिये सामान्य विज्ञान में भी व्यावहारिक अनुप्रयोगों से संबंधित संकल्पनाओं को अध्ययन में प्रमुखता देनी चाहिये।
- चूँकि विगत वर्षों में सर्वाधिक प्रश्न जीव विज्ञान से पूछे गए हैं, इसलिये जीव विज्ञान पर विशेष ध्यान देना चाहिये। जीव विज्ञान में भी अगर देखा जाए तो वनस्पति विज्ञान, विभिन्न रोगों, आनुवंशिकी, जैव विकास व जैव-विविधता तथा जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्न अधिक पूछे गए हैं। इसलिये जीव विज्ञान के अध्ययन में भी इन उपखंडों को प्रमुखता दी जानी चाहिये।
- देखा जाए तो भौतिक विज्ञान से प्रतिवर्ष औसतन 2 प्रश्न पूछे गए हैं। अगर पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को देखा जाए तो अधिकांश प्रश्न प्रकाश, ऊष्मा, ध्वनि, विद्युत धारा एवं गति जैसे अध्यायों से ही पूछे गए हैं।
- इस तरह, अगर इन अध्यायों से संबंधित साधारण संकल्पनाओं (concepts) को समझ लिया जाए तो भौतिक विज्ञान के प्रश्न भी आपकी पहुँच से बाहर नहीं जाएंगे। वहीं, रसायन विज्ञान से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या नगण्य है, इसलिये अगर इसे छोड़ भी दिया जाए तो कोई विशेष नुकसान नहीं है।
करेंट अफेयर
UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा के लिए करेंट अफेयर का महत्व प्रत्येक वर्ष बदलता रहता है। पिछले वर्षों में IAS पर प्रश्नों की संख्या पर विस्तृत विवरण दिया गया है:
वर्ष | करेंट अफेयर |
2013 | 20 |
2014 | 14 |
2015 | 17 |
2016 | 18 |
2017 | 7 |
कर्रेंट अफेयर विषय के फोकस क्षेत्र :
विषय | विशिष्ट क्षेत्र | दिन (18) |
कर्रेंट अफेयर | राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विषय: इसका अर्थ अर्थशास्त्र, राजनीति, एससी जैसे विषयों से संबंधित प्रश्न है। प्रोद्योगिकी या अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की वर्तमान प्रासंगिकता होगी | 18 |
- केवल समसामयिकी ही नहीं, बल्कि अन्य खंडों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति को देखने पर स्पष्ट होता है कि इस परीक्षा में समसामयिकी खंड की अहम भूमिका है। सामान्य अध्ययन के परंपरागत खंडों से भी कई प्रश्न सीधे तौर पर इस तरह के पूछे जाते हैं जो वर्तमान में कहीं-न-कहीं किसी-न-किसी रूप में चर्चा में रहे हों। इसलिये समसामयिकी घटनाओं पर पैनी नज़र रखनी चाहिये।
- गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष अधिकतर प्रश्न समसामयिकी खंड से पूछे गए हैं। अप्रत्यक्ष रूप से बहुत सारे प्रश्नों का आधार करेंट अफेयर्स ही होता है। साथ ही, यह खंड मुख्य परीक्षा में भी बराबर का महत्त्व रखता है। इसलिये सामान्य अध्ययन के इस खंड पर सर्वाधिक गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है।
- चूँकि समसामयिकी का विस्तार अपने आप में व्यापक है, इसलिये इस पर महारत हासिल करने की बात सोचना ही बेमानी है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असंख्य घटनाएँ होती रहती हैं, ऐसे में सारे घटनाक्रमों को याद रख पाना अत्यंत कठिन कार्य है। इसलिये समसामयिकी में भी चयनित अध्ययन की ज़रूरत होती है।
- इसके लिये आवश्यक है कि सबसे पहले तो अनावश्यक तिथियों, पुरस्कारों, घटनाओं और आँकड़ों आदि को रटने से बचें। सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के वर्तमान प्रारूप में ऐसे तथ्यात्मक प्रश्न नहीं के बराबर पूछे जाते हैं।
- समसामयिकी में भी विभिन्न विषयों के अलग-अलग खंड बनाकर संक्षिप्त नोट्स बना लेने चाहियें। जैसे कि किसी खंड विशेष से संबंधित कोई महत्त्वपूर्ण घटना राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में घटती है तो उसे अपने नोट्स के उस खंड में जोड़ लें। इससे फायदा यह होगा कि आपको समसामयिकी से संबंधित तथ्यों को याद रखने एवं रिवीज़न करने में आसानी होगी तथा ये नोट्स आपको न केवल प्रारंभिक परीक्षा में बल्कि मुख्य परीक्षा में भी लाभ पहुँचाएंगे।
- समसामयिकी खंड की तैयारी के लिहाज़ से देश-दुनिया में घट रही आर्थिक, राजनीतिक, पारिस्थितिक, सांस्कृतिक आदि घटनाओं की सूक्ष्म जानकारी पर विद्यार्थियों की विशेष नज़र रहनी चाहिये।
- यूपीएससी में सामान्यतः नवीनतम घटनाओं की जगह विशेषीकृत घटनाओं से जुड़े सवाल थोड़े गहराई से पूछे जाते हैं। इसमें विद्यार्थियों से सरकार की नीतियों और नए अधिनियमों के संबंध में गहरी समझ की अपेक्षा की जाती है। अतः विद्यार्थियों को सालभर की घटनाओं पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।
- संवैधानिक विकास, विभिन्न योजनाओं, लोक नीति, आर्थिक सुधारों, प्रौद्योगिकीय और पर्यावरणीय विकास तथा इनसे संबद्ध प्रमुख अवधारणाओं पर विशेष रूप से ध्यान दें।
- प्रारंभिक परीक्षा में समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते आपको इस खंड पर नियमित रूप से ख़ास ध्यान रखना होगा। सामान्य अध्ययन के अन्य विषयों की तरह OnlineTyari टीम ने इसके लिये भी एक व्यापक रणनीति तैयार की है। इस खंड की तैयारी के लिये आप नियमित रूप से ‘OnlineTyari’ की वेबसाइट OnlineTyari.com के करेंट अफेयर्स खंड का अनुसरण कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप एक मासिक पत्रिका, प्रमुख समाचार पत्रों में से किसी एक और राज्य सभा टीवी, लोक सभा टीवी के विभिन्न कार्यक्रमों में नियमित रूप से प्रसारित महत्त्वपूर्ण चर्चाओं का अनुसरण कर सकते हैं।
- करेंट अफेयर के लिए 10-12 महीने के प्रमुख विषयों और घटनाओं का गहराई से अध्ययन करें। इसके अतिरिक्त, अलग-अलग स्रोतों जैसे अखबार, सरकारी प्रकाशन, मिनिस्ट्री की साईट और नेट से उपयोगी नोट्स तैयार करें। भारत वर्ष पुस्तक, आर्थिक सर्वेक्षण, योजना और कुरुक्षेत्र इत्यादि पत्रिकाओं का भी अध्ययन करें।
प्रारंभिक परीक्षा – सीसैट (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -2) की रणनीति
- सीसैट की तैयारी के लिये सभी उम्मीदवारों की एप्रोच एक-सी नहीं हो सकती। कुछ उम्मीदवार जिनकी पृष्ठभूमि गणित एवं विज्ञान विषयों की है, उनके लिये दो घंटे में गणित एवं रीज़निंग खंड को मिलाकर 27 प्रश्न हल कर लेना कोई कठिन कार्य नहीं है, जबकि मानविकी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों के लिये तो कई बार यह आँकड़ा पार करना भी कठिन हो जाता है।
- गौरतलब है कि सीसैट प्रश्नपत्र में कुल 80 प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न 5 अंकों का होता है। इस तरह, सीसैट में क्वालिफाई करने के लिये निर्धारित 33% अंक लाने के लिये आपको 200 अंकों में से 66 अंक लाने अनिवार्य हैं। ध्यान रहे कि प्रारंभिक परीक्षा में निगेटिव मार्किंग लागू है।
- यह बात भी सही है कि इस आँकड़े को पार करने के लिये सभी परीक्षार्थियों की रणनीति एकसमान नहीं हो सकती है। किसी की गणित एवं रीज़निंग पर अच्छी पकड़ होती है तो कोई कॉम्प्रिहेंशन हल करने में ही सहज महसूस करता है। विगत 6 वर्षों में विभिन्न खंडों से पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अब सीसैट में किन खंडों पर ध्यान देना अधिक उचित रहेगा और किन्हें छोड़ने पर भी विशेष नुकसान नहीं है।
- प्रत्येक उम्मीदवार को CSAT के लिए अपनी रणनीति निश्चित करनी चाहिए और उसपर चलकर न्यूनतम कटऑफ़ तक पहुंचना चाहिए।
सामान्य अध्ययन प्रथम और द्वितीय प्रश्नपत्र महत्त्वपूर्ण टिप्स
यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको अपने IAS प्रारंभिक परीक्षा परीक्षा 2019 की योजना में सफलता प्राप्त करने के लिए बचे महीनों में शामिल करना चाहिए। सर्वप्रथम तो आपको परीक्षा आवश्यकताओं से परिचित हो जाना चाहिए। IAS प्रारंभिक परीक्षा परीक्षा उम्मीदवार के सहनशक्ति का भी परीक्षण लेती है अतः परीक्षार्थी को खुद को परीक्षा की आवश्यकताओं के लिए मानसिक रूप से परिचित कर लेना चाहिए।
- मुख्य समस्या के रूप में जिससे उम्मीदवार गुजरता है वह है परीक्षा की समय सीमासीमा। एक उम्मीदवार को 120 मिनटों में लगभग 100 प्रश्नों का उत्तर देना होगा, इसलिए औसत रूप से प्रत्येक प्रश्न के लिए लगभग 40 सेकंड मिलते हैं। इसलिए परीक्षार्थी को अपनी रणनीति को इसके अनुरूप ही रखनी चाहिए।
- इस चुनौती से निपटने का एक तरीका यह है कि सर्वप्रथम वही प्रश्न हल किये जाएँ जो परीक्षार्थी की ज्ञान की सीमा के दायरे में हों। जिन प्रश्नों के उत्तर पता न हों या जिन पर उधेड़बुन हो, उन्हें निशान लगाकर छोड़ देना चाहिये और अगर अंत में समय बचे तो उनका उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिये, वरना उन्हें छोड़ देने में ही भलाई है।
- विगत वर्ष के परीक्षा प्रश्न पत्र और मॉडल प्रश्नपत्र को हल करे: परीक्षा में चार विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करना ही सफलता का रास्ता है क्योंकि एक गलत नेगेटिव मार्किंग के कारण आपके अंक को कम कर देगा। रट्टा मार विधि से आप सीधे पूछे जाने वाले 20 प्रश्न से अधिक नहीं नहीं कर पाएंगे।सही विकल्प तक पहुचने के लिए उन्मूलन विधि सर्वोत्तम मानी गई है जो कम–से-कम प्रासंगिक विकल्प को हटाती जाती है और अंत में बचा ही उत्तर के रूप में माना जाता है। यह विधि केवल तभी लागू की जा सकती है अगर आप ने पिछले कई वर्षों के प्रश्न पत्र हल करने के ठोस प्रयास किए हों और निर्धारित समय के भीतर मॉडल प्रश्नपत्र संभव को हल किया हो।
- मॉक टेस्ट अवश्य दें:मॉक टेस्ट एक ऐसा अभ्यास है जो असफल उम्मीदवारों से सफल उम्मीदवारों को अलग करता है। मॉक टेस्ट को सफल उम्मीदवार अपनी नियमित तैयारी का अभिन्न अंग बनाते हैं। मॉक टेस्ट हल करने से उम्मीदवार को अपनी गलतियों को जानने और सुधारात्मक उपाय करने में मदद मिलती है।
अब आप IAS मुख्य परीक्षा 2019 मेरिट लिस्ट में आने वाले सभी आवश्यक वस्तुओं के साथ तैयार हैं। हम आपको आगामी IAS प्रारंभिक परीक्षा परीक्षा 2019 के लिए शुभकामनाएं देते हैं।
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