IAS मुख्य परीक्षा 2017 केस स्टडी : सामान्य अध्ययन पेपर-IV (आपातकालीन स्थिति और दायित्व)- संघ लोक सेवा आयोग अक्टूबर के महीने में सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का आयोजन करेगा। इस परीक्षा का उद्देश्य एक छात्र को परखने से है जो शासन, संविधान, राजनीति, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की समझ के आधार से संबंधित है। समस्या यह है कि चाहे कितनी ही अच्छी तैयारी कर ली जाए और भले ही कितना ज्ञान अर्जित कर लिया जाए फिर भी परीक्षा को लेकर हमेशा अनिश्चितता का भय रहता ही है। इस डर पर काबू पाने के लिए IAS मुख्य परीक्षा के GS पेपर-4 के लिए केस स्टडी आपसे साझा कर रहे हैं, जिससे आप केस स्टडी पर अपनी पकड़ मजबूत कर पाएं और आप परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
इस प्रश्न-पत्र में ऐसे प्रश्न शामिल होंगे जो सार्वजनिक जीवन में उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से संबंधित विषयों के प्रति उनकी अभिवृत्ति तथा उनके दृष्टिकोण तथा समाज से आचार-व्यवहार में विभिन्न मुद्दों तथा सामने आने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर उनकी मनोवृत्ति का परीक्षण करेंगे। इन आयामों का निर्धारण करने के लिये प्रश्न-पत्र में किसी मामले के अध्ययन (केस स्टडी) का माध्यम भी चुना जा सकता है। आज का प्रश्न हमने केस स्टडी के तहत ‘आपातकालीन स्थिति और दायित्व’ से संदर्भित रखा है।
IAS मुख्य परीक्षा 2017 केस स्टडी : सामान्य अध्ययन पेपर-IV (आपातकालीन स्थिति और दायित्व)
उत्तर: यहाँ स्थिति काफी जटिल है और आपको त्वरित निर्णय लेना भी बहुत आवश्यक है। एक तरफ छोटे भाई के जीवन पर संकट मंडरा रहा है तो दूसरी ओर मेरे जीवनभर की पूंजी-मेरी ईमानदारी और मेरे नैतिक सिद्धांत, जो रिश्वत देने को सरासर अनुचित मानते हैं, को तिलाँजलि देना अनिवार्य सा बन रहा है।
ऐसी स्थिति में मेरे समक्ष दो प्रकार के विकल्प उपस्थित हैं-
(i) मैं अपने सिद्धांतों से समझौता कर लूँ और कांस्टेबल को रिश्वत की पेशकश कर दूँ। रिश्वत लेकर वह मुझे शीघ्रता से जाने दे सकता है और अस्पताल में जल्दी से पहुँचकर मैं अपने छोटे भाई की जान बचा सकता हूँ।
(ii) मैं अपने सिद्धांतों पर अडिग रहूँ। कांस्टेबल को रिश्वत न दूँ और उसे मोटरसाइकिल चालान करने दूँ। इसके पश्चात् ऑटो या कैब लेकर अस्पताल जाऊँ। इसमें सिद्धांतों की रक्षा तो हो जाएगी लेकिन थोड़ा अतिरिक्त वक्त लग सकता है।
इन दोनों विकल्पों में से मैं दूसरे विकल्प को ही चुनूगाँ क्योंकि-
रिश्वत लेना एवं देना दोनों अनैतिक एवं अवैध कृत्य हैं। कांस्टेबल ने प्रत्यक्ष तौर पर रिश्वत नहीं मांगी है। यह भी हो सकता है कि मुझे जो प्रतीत हुआ हो उसके विपरीत कांस्टेबल का चरित्र हो। ऐसी स्थिति में वह मेरे खिलाफ ‘रिश्वत की पेशकश’ करने के जुर्म में कार्रवाई भी कर सकता है।
पहले विकल्प में यदि मुझे रिश्वत देने के बाद मोटरसाइकिल मिल भी जाती तो बिना हेलमेट पहने मोटरसाइकिल चलाना स्वयं की जान को खतरे में डालना भी होता। और हो सकता है कि अगले चौराहे पर फिर कोई कांस्टेबल फिर से रोक लें और मेरा समय व्यर्थ हो, फिर ‘जीवन’ की रक्षा के लिये दूसरे ‘जीवन’ को खतरे में डालना भी उचित नहीं जान पड़ता।
रिश्वत देने की स्थिति में मुझे सारी उम्र आत्मग्लानि का बोध रहता। गांधी जी का कथन कि ‘साध्य’ के लिए ‘साधन’ का पवित्र होना भी आवश्यक है, मेरे लिए अहम है।
यह संभव है कि दूसरे विकल्प में थोड़ा अतिरिक्त वक्त लग सकता है पर वह दूसरे कांस्टेबल द्वारा रोके जाने के बराबर ही होगा। अतः मैं कांस्टेबल का नाम व चौकी की जानकारी लेकर, मोटरसाइकिल की चाबी कांस्टेबल को सौंप किसी ऑटो या कैब से जल्दी-से-जल्दी अस्पताल पहुचने का प्रयास करता। ऑटो या कैब से जाते वक्त मैं अस्पताल के चिकित्सकों से संपर्क में रहता और उनसे अनुग्रह करता कि मेरे पहुँचने तक अतिरिक्त प्रयास करें।
OnlineTyari टीम द्वारा दिए जा रहे उत्तर UPSC की सिविल सेवा परीक्षा (IAS परीक्षा) के मानक उत्तर न होकर सिर्फ एक प्रारूप हैं। जिससे अभ्यर्थी उत्तर लेखन की रणनीति से अवगत हो सकेगा। वह उत्तर में निर्धारित समयसीमा में कलेवर को समेटने और समय प्रबंधन की रणनीति से परिचय पा सकेगा। जिससे वह सम्पूर्ण परीक्षा को समयसीमा में हल करने में समर्थ होगा।
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