Published on: February 21, 2019 5:07 PM
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स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ को 20 फरवरी 2019 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अंतिम परिचालन मंजूरी (Final Operational Clearance) प्रदान किया।
कॉम्बैट रेडी तेजस को मंजूरी DRDO की प्रयोगशाला वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) द्वारा एरो इंडिया शो 2019 के दौरान भारतीय वायु सेना अध्यक्ष बी.एस. धनोआको दिया गया।
सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILAC) ने तेजस एमके 1 के उत्पादन को अंतिम परिचालन मंजूरी (एफओसी) कॉन्फ़िगरेशन के तहत शुरू करने की अनुमति दी है।
इसके साथ ही चार दशक से चल रहे लम्बे इंतज़ार के बाद युद्धक विमान तेजस ने पूरी तरह लड़ाकू योग्यता हासिल कर ली हैं और इसके भारतीय वायु सेना के ऑपरेशनल यूनिट में तैनाती का रास्ता साफ़ हो गया।
अंतिम परिचालन के लिए क्या मानक हैं?
अंतिम परिचालन मंजूरी प्राप्त करने के लिए, विमान में मध्य-वायु ईंधन भरने, एईएसए राडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक सुइट, विभिन्न प्रकार के बम और हथियार, जैसी युद्धक क्षमताएँ होनी चाहिए।
अंतिम परिचालन मंजूरी के लिए आवश्यक मिड-एयर-रिफ्यूलिंग (हवा में उड़ान भरते समय ईंधन भरना) प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली गई थी। तेजस एलएसपी-8 में पहले ही प्रयास में 20 हजार फीट की ऊंचाई पर 1900 किलोग्राम ईंधन भरा गया।
इसके बाद वायुसेना के टैंकर विमान आईएल-78 ने अब तेजस में 2700 किलोग्राम ईंधन भरने में सफलता हासिल की, जबकि तेजस की कुल ईंधन क्षमता 4 हजार किलोग्राम है।
इसके अलावा तेजस ऑटो-लो-स्पीड-रिकवरी (एएलएसआर) उड़ान सहित अन्य आवश्यक तकनीकों से सुसज्जित हो चुका है और अपने वर्ग में एक शानदार युद्धक बन चुका है।
हाल ही में पोखरण में संपन्न ‘वायु शक्ति 2019’ सैन्य अभ्यास के दौरान इस विमान ने हवा से हवा और हवा से जमीन पर सटीकता से लक्ष्य भेद अपनी ताकत और उपयोगिता साबित की है।
इसका महत्त्व
वायुसेना की घटती स्क्वाड्रन क्षमता को देखते हुए तेजस को एफओसी दिया जाना काफी अहम है। वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता 42 होनी चाहिए जो घटकर 31 स्क्वाड्रन रह गई है।
वर्ष 2018 में, भारतीय वायुसेना ने स्क्वाड्रन ताकत की घटती संख्या के लिए 324 तेजस को शामिल करने पर सहमति व्यक्त की थी।
इससे पहले वर्ष 2016 में वायुसेना के बेड़े में तेजस को नंबर-45 स्क्वाड्रन के तौर पर शामिल किया गया और इसे फ्लाइंग डैगर्स नाम दिया गया।
तेजस के बारे में
‘तेजस’ एक भारतीय एकल इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है जिसे भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
यह लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) प्रोग्राम से आया था, जो 1980 के दशक में भारत के एजिंग मिग -21 लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए शुरू हुआ था। 2003 में, LCA को आधिकारिक तौर पर "तेजस" नाम दिया गया था।
‘तेजस’ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित HAL HF -24 मारुत के बाद दूसरा सुपरसोनिक फाइटर है।
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